top of page

Hindi Articles, 2022 - Grade 10

दीपोत्सव : एक नई शुरुआत

जय बेल्लारे – 10B


दीपावली वह पर्व है जिसका हम हर वर्ष बेसब्री से प्रतीक्षा करते है। यही वह उत्सव है जहाँ हम परिवार जनों और मित्रों से मिलते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। हम नए कपड़े, घर के लिए नई वस्तुएँ और ढेर सारे उपहार खरीदते हैं। घर का पूरा माहौल मिठाइयों की भीनी-भीनी खुशबू से उभर उठता है। इसीलिए तो दीवाली को त्योहारों की महारानी माना जाता है।


मगर क्या दीवाली का अर्थ सिर्फ धन का प्रदर्शन और झूठा दिखावा है? क्या हम कहीं-न-कहीं अपने असली रीती-रिवाजों को भूल तो नहीं रहे हैं? कोविड संक्रमण ने हमें यह सीख दी है कि हमें खुद की सेहत का ही नहीं, बल्कि अपने पर्यावरण का भी खयाल रखना है। यही वह समय है जब हम खुशियों से भरी मगर साथ ही ईको-फ्रेंडली दीवाली मनाने की पहल शुरू कर सकते हैं। इसके लिए हमें कई कदम उठाने होंगे। प्लास्टिक के दिए न खरीदकर हम पूरा घर मिटटी के दीपों से प्रज्वलित कर सकते हैं। ये दीये ज्यादातर ग्रामीण महिलाएँ ही बनाते हैं। अगर हम ये दीये खरीदेंगे, तो हम ग्रामीण कारीगरों को प्रोत्साहन देंगे तथा उनकी आजीविका में वृद्धि ला देंगे। हम निर्धन परिवारों को सक्षम और प्रभावशाली संस्थागत मंच प्रदान कर, देश की मुख्यधारा से उन्हें जोड़ने का प्रयास करेंगे। आजकल ऐसे मिटटी के दिए भी मिलते हैं जो तरह-तरह के बीजों से भरे होते हैं। पर्व के बाद ये दिए फूलदानों में डालने से, हम पौधे विक्सित कर सकते हैं। हमें प्लास्टिक के बंदनवार नहीं लगाने चाहिएँ, चाहे वे सस्ते ही क्यों न हों। ताज़े फूलों के हार लगाने से घर की शोभा में चार-चाँद लग जाते हैं और घर का वातावरण सुगन्धित हो जाता है। रंगोली बनाते समय भी हम कृत्रिम रंगों का उपयोग न कर, आर्गेनिक (organic) रंगों तथा रंग-बिरंगे फूलों से रंगोली बना सकते हैं। पटाखों के बिना दीवाली कुछ अधूरी-सी रह जाती है। मगर छोटे बच्चों के लिए ये हानिकारक साबित हो सकते हैं। इसके लिए मध्यप्रदेश के छिन्द्वारा जिले के कारीगरों ने एक अनोखा हल ढूँढा है। उन्होंने बीज के पटाखों का निर्माण किया है, जो बिलकुल पारंपरिक पटाखों जैसे दिखते हैं, मगर इनमें विषैले केमिकल्स या बारूद नहीं होते, बल्कि ये बीज युक्त होते हैं। अनार, फुलझड़ी, राकेट (rocket), चकरी, टिकली, सुतली बम, नागिन जैसे कई आकारों में ये उपलब्ध होते हैं। इन्हें लगाने पर बीज सब जगह बिखर जाते हैं, तथा त्योहार के बाद, इनसे पौधे विकसित होते हैं और पर्यावरण को हरा-भरा और सुहावना बना देते हैं। दीवाली के समय यथासंभव प्लास्टिक के चीज़ों से हमें दूर ही रहना चाहिए। सगे-सम्बन्धियों के साथ मिलकर जब हम प्लास्टिक के दिस्पोवेअर (dispoware) को त्यागकर, केले के पत्तों पर भोजन करेंगे, तो पर्व का मज़ा ही कुछ और होगा। हमें चीन में बने प्लास्टिक या प्लास्टर-ऑफ़-पेरिस के आकाश कंडील खरीदने की ज़रूरत नहीं है। हम खुद घर पर ही कागज़ या कार्डबोर्ड के कंडील बना सकते हैं और उसपर अनोखी चित्रकारी कर सकते हैं। इस वर्ष मैंने कंडील में बल्ब (bulb) की बजाय, एल.ई.डी (LED) के दिए लगाकर उन्हें स्वयम आरड्यूईनो (Arduino) से प्रोग्राम किया, जिससे दिए अनेक रंगों में टिमटिमाते हैं और ‘शुभ दीपावली’ का संकेत भी करते हैं। LED दियों से बिजली की काफी बचत होती है। आरड्यूईनो एक ऐसा हार्डवेयर (hardware) और सॉफ़्टवेयर (software) का प्लेटफॉर्म (platform) है, जो कलाकारों तथा इलेक्ट्रॉनिक्स के शौक़ीनों के लिए विक्सित किया गया है। हम आरड्यूईनो से बनी चीज़ें अतिथियों का स्वागत करने में प्रयोग कर सकते हैं। इस तरह हम दीवाली के शुभ पर्व को हर्ष और उल्लास से ही नहीं बल्कि सावधानी से भी मना सकते हैं। यही वह पर्व है जिसके माध्यम से हम समाज के हर वर्ग में अनगनित खुशियाँ भर सकते हैं।


हम अपनी छोटी-सी-छोटी कोशिशों से कार्तिक अमावस्या की काली रात को पूनम की रात में बदल सकते हैं, तो क्यों न हम सब मिलकर आज़ादी के इस अमृत महोत्सव वर्ष में ये प्रण लें कि हम दीवाली सुरक्षित रूप से मनाएँगे तथा भारत में स्वर्ण युग का स्वागत करेंगे!


दसवीं - दुनिया में एक कदम

आद्या सेल्वामनी - 10 B



दसवीं , एक ऐसी कक्षा जहां सबसे अक्षम भी, रैंक पाने के लिए दौड़ना शुरू करते हैं।…दसवीं , वास्तविक दुनिया की प्रतियोगिता का थोड़ा सा स्वाद…दसवीं, खुदको साबित करने का एक मौका।

इस साल जिस तरह से मैंने खुद को समझा, मैं अपनी पूरी जिंदगी मुश्किल से समझ पाती। मैंने पाया कि मैं एक फाइटर हूं, इसलिए नहीं क्योंकि मैंने प्रतियोगिता के माध्यम से लड़ाई लड़ी और दसवीं कक्षा में अपनी जगह बनाई, बल्कि इसलिए क्योंकि मैंने अपनी भावनात्मक बाधाओं और आंतरिक बुराइयों से लड़ी ताकि मैं खुद को बेहतर बना सकूं।

लेकिन इस प्रक्रिया में, मैंने हमेशा खुद को भविष्य के बारे में चिंतित पाया, आखिरकार बोर्ड की परीक्षा का सामना करना पड़ेगा, इससे मुझे बहुत चिंता हुई।

यह चिंता धीरे-धीरे मेरे लिए वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने और पल का आनंद लेने में बाधा बन रही थी ।

एक दिन उसी तनाव में मैं अपनी दादी के साथ बैठी थी जो राजेश खन्ना की एक फिल्म देख रही थी, और मैं उनकी स्क्रीन उपस्थिति से मंत्रमुग्ध थी। मैंने उनके संवादों को ध्यान से सुना, जिसने मुझे जीवन के लिए प्रेरित किया-“हम आने वाले गम को खींच-तान कर आज की खुशी पर ले आते हैं... और उस खुशी में जहर घोल देते हैं”। उस समय मुझे एहसास हुआ कि दसवीं कक्षा में होने का मतलब यह नहीं है कि मुझे खुश रहने और मौज-मस्ती करने की अनुमति नहीं है, बल्कि यह मेरी कड़ी मेहनत , मज़े , और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने का अवसर है, क्योंकि इसे ही तो कहते हैं - जीवन को पूरी तरह से जीना

और ये तो बस शुरुआत है, मेरे दोस्त !



लॉकडाउन के दिन : स्कूल बिन

आर्या आशर – 10F


सुबह उठकर बस का इंतजार,

मम्मी से १० मिनट मांगकर और सोना,

वो घर से स्कॉटिश का रास्ता,

आज भी मेरी आँखों में है बस्ता,

कहाँ गए वो दिन,

नहीं मजा आता अब स्कूल बिन।


आज भी रोज सुबह उठती हूँ,

पहनती हूँ कपड़े इस्त्री बिन,

स्कूल बैग ,वॉटरबॉटल के बिन,

कहाँ गए वो दिन,

नहीं मजा आता अब यूनिफॉर्म के बिन।


खोलती हूँ जब- जब अपना टिफिन,

याद आते हैं मुझे शरारतवाले सीन,

कोई नहीं खाता मेरी टिफिन से छीन,

कहाँ गए वो दिन,

नहीं मजा आता अब मेरे दोस्तों के बिन।


हाथों में है लैपटॉप की पिन,

ऑनलाइन लैक्चर अब हर दिन,

टीचर को हुआ पढ़ाना कठिन,

अकेली बैठती हूँ सारा दिन,

कहाँ गए वो दिन,

नहीं मजा आता अब बेंच पार्टनर बिन।


ना होती मस्ती न होती पढ़ाई,

ना कोई पी टी एम,

ना कोई वार्षिक दिन,

ना मिलती छुट्टी की खुशी,

ना डांट खाने का गम,

नहीं किसी से बातें,

नहीं किसी से वादें,

रह गई तो बस बॉम्बे स्कॉटिश की यादें।


सबकुछ ले गया लॉकडाउन छीन,

कहाँ गए वो दिन,

नहीं मजा आता अब ,

ए स्कूल, तेरे बिन,

नहीं मजा आता अब स्कूल बिन।



34 views

Recent Posts

See All

Hindi Articles, 2022- Grade 9

बचपन से हम एक कहानी सुनते आ रहे हैं कि पिता और पुत्र एक दिन एक घोड़ा लेकर कहीं जा रहे थे। रास्ते में किसी ने देखा और कह दिया...

Hindi Articles, 2022- Grade 10

समय था जब, सब प्रश्नों के उत्तर थे आसान। दुःख का नाम न पता था, न था कोई नुकसान। भय की भावना पता नहीं थी, मैं थी महान वीरांगना। सब दुनिया...

Hindi Articles, 2022 - Grade 7

लॉकडाउन के बाद ऑफलाइन स्कूल का पहला दिन…. विदित जैन -7ब 2020 में कोरोना वायरस के कारण सरकार ने सब कुछ बंद कर दिया। हमारा स्कूल भी बंद कर दिया गया। रोज़ सुबह उठकर स्कूल जाने की दिनचर्या एकदम से रुक गई।

bottom of page